### फणीश्वर नाथ रेणु के बारे में:
फणीश्वर नाथ रेणु (4 मार्च 1921 - 11 अप्रैल 1977) हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखकों में से एक थे। वे "आंचलिक साहित्य" के प्रवर्तक माने जाते हैं। उनकी रचनाओं में ग्रामीण जीवन, सामाजिक विषमताएं और मानवीय संवेदनाएं गहराई से झलकती हैं। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में **मैला आंचल**, **परती परिकथा**, **जुलूस** और **दीर्घतपा** शामिल हैं।
### जयंती कार्यक्रम का विवरण:
1. **तिथि और समय**: 9 मार्च, 2025 (रविवार)
कार्यक्रम सुबह 10 बजे से शुरू होगा और शाम 5 बजे तक चलेगा।
2. **स्थान**: साहित्य अकादमी, नई दिल्ली (या अन्य स्थान, जो आयोजकों द्वारा तय किया जाएगा)।
3. **मुख्य आकर्षण**:
- **पुस्तक विमोचन**: रेणु जी के जीवन और साहित्य पर आधारित एक नई पुस्तक का विमोचन किया जाएगा। यह पुस्तक उनके व्यक्तित्व, उनकी रचनाओं और उनके सामाजिक योगदान को गहराई से समझने का अवसर प्रदान करेगी।
- **विशेष व्याख्यान**: प्रख्यात साहित्यकार और विद्वान रेणु जी के साहित्यिक योगदान पर चर्चा करेंगे।
- **कविता पाठ और गीत**: रेणु जी की रचनाओं से प्रेरित कविताएं और गीत प्रस्तुत किए जाएंगे।
- **प्रदर्शनी**: रेणु जी के जीवन, उनकी पांडुलिपियों, और उनकी रचनाओं से जुड़ी दुर्लभ तस्वीरों और सामग्रियों की एक प्रदर्शनी लगाई जाएगी।
4. **आमंत्रित अतिथि**:
- प्रसिद्ध साहित्यकार, समीक्षक और सांस्कृतिक व्यक्तित्व इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।
- रेणु जी के परिवार के सदस्य भी इस अवसर पर उपस्थित रह सकते हैं।
5. **पुस्तक के बारे में**:
नई पुस्तक में रेणु जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं, उनकी रचनाओं के सामाजिक और साहित्यिक प्रभाव, और उनके द्वारा प्रस्तुत आंचलिकता के स्वरूप को विस्तार से समझाया जाएगा। यह पुस्तक शोधार्थियों, साहित्य प्रेमियों और आम पाठकों के लिए समान रूप से उपयोगी होगी।
6. **कार्यक्रम का उद्देश्य**:
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य फणीश्वर नाथ रेणु की साहित्यिक विरासत को याद करना और नई पीढ़ी को उनके योगदान से परिचित कराना है। साथ ही, यह कार्यक्रम हिंदी साहित्य के प्रति लोगों की रुचि को बढ़ाने में भी मददगार साबित होगा।
### कैसे भाग लें:
- यदि आप इस कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं, तो आप साहित्य अकादमी की वेबसाइट या उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
- कार्यक्रम में ऑनलाइन भागीदारी का विकल्प भी उपलब्ध हो सकता है।
फणीश्वर नाथ रेणु की जयंती पर आयोजित यह कार्यक्रम न केवल उन्हें श्रद्धांजलि देने का अवसर होगा, बल्कि हिंदी साहित्य के प्रति लोगों की समझ और प्रेम को भी गहरा करेगा।